फुटपाथ पर रहने वाले ज्यादातर बच्चे घर से भागे हुए होते हैं। वे अपने घरों से जीवन में अच्छे अवसर प्राप्त करने के लिए या शहरी ठाट-बाट के लिए या पढ़ाई करने के लिए अपने अभिभावकों द्वारा मिल रहे दबाव, पारिवारिक लड़ाई झगड़ों की वजह से घर से शहर भाग जाते हैं और जहाँ वे बहुत ही दयनीय स्थिति में जीवन व्यतीत करते हैं।
फुटपाथ के बच्चे कभी भी खराब नहीं होते। वह जिन परिस्थितियों में रहते हैं वे परिस्थितियाँ ही खराब होती हैं। इन्हें दो वक्त का खाना नहीं मिलता और बुरे व्यवहार के शिकार होते हैं । एक बार वे रास्ते में आ जाते हैं तो वे दुर्व्यवहार और उससे सम्बन्धित समस्याओ में फँस जाते हैं। यह छोटे बच्चे अपने से बड़े बच्चों के सम्पर्क में आकर कचड़ा चुनने या दूसरे काम जो बिना किसी कष्ट से मिल जाता है या गैर कानूनी काम जैसे जेब काटना, भीख माँगना, नशीले सामानों को बेचने जैसे कामों में लग जाते हैं।
बच्चे निम्न कारणों से घर से भागते हैं -
• बेहतर जीवन अवसर के लिए
• शहरी चकाचौंध
• बड़ों का दबाव
• खराब पारिवारिक सम्बन्ध
• अपने माता-पिता द्वारा परित्यक्त किये जाने पर
• माता-पिता तथा अध्यापकों द्वारा मारे जाने के डर से
• यौन सम्बन्धी दुर्व्यवहार
• जातीय भेदभाव
• लिंग संबंधी भेदभाव
• अपंगता
• एचआईवी/ एड्स की वजह से भेदभाव
फुटपाथी बच्चों का यौन शोषण, प्रेक्षण गृह में लाया गया (एक अध्ययन, वर्ष 2003-04) (रिपोर्टः दिप्ती पगारे, जी. एस. मीणा, आर. सी. जीलोहा व एम. एम. सिंह, भारतीय बाल चिकित्सा, सामुदायिक औषधि एवं मनोचिकित्सा विभाग, मौलाना आज़ाद महाविद्यालय। इस अध्ययन के दौरान दिल्ली के एक प्रेक्षण केन्द्र में रहने वाले बालकों के बीच किये गये सर्वेक्षण के दौरान यह बात सामने आई कि उसमें रहने वाले अधिकतर बच्चे फुटपाथ पर रहने वाले थे और उनमें से 38.1 प्रतिशत बच्चे यौन सम्बन्धी दुर्व्यवहार के शिकार थे। उन लोगों का जब अस्पतालों में जाँच कराया गया तो उनमे से 61.1 प्रतिशत बच्चों के शरीर पर जख्म के निशान थे जबकि 40.2 प्रतिशत बच्चों ने उनके साथ हुए यौन दुर्व्यवहार निशान दिखाए। 44 प्रतिशत बच्चों के साथ जबरन यौन दुर्व्यवहार किये और उनमें से 25 प्रतिशत बच्चों में यौन सम्बन्धी रोगों के निशान पाये गये थे। इन ब्चों के यौन शोषण जैसी घटनाएँ अधिकतर अपरिचित व्यक्ति द्वारा ही किया गया था।
Sunday, September 28, 2008
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